जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis) क्या है? कैसे होता है? सम्पूर्ण जानकारी
( Apurba Das )
जापानी इंसेफेलाइटिस (JE) एक गंभीर मस्तिष्क संबंधी वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से मच्छरों के काटने से फैलती है। यह बीमारी अधिकतर एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्रों में पाई जाती है, खासकर ग्रामीण और धान के खेतों वाले इलाकों में। भारत में हर साल मानसून के समय यह बीमारी कई राज्यों में फैलती है और कई जानें चली जाती हैं।
जापानी इंसेफेलाइटिस क्या है?
जापानी इंसेफेलाइटिस एक वायरल न्यूरोलॉजिकल संक्रमण है जो जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (JEV) के कारण होता है। यह वायरस मस्तिष्क को संक्रमित करता है, जिससे मस्तिष्क में सूजन (Encephalitis) हो जाती है।
इस बीमारी का मुख्य वाहक Culex प्रजाति के मच्छर होते हैं जो गंदे पानी, धान के खेतों और पालतू सूअर के आसपास प्रजनन करते हैं।
यह बीमारी कैसे फैलती है?
(1) संक्रमित सूअर और जंगली पक्षी इस वायरस के प्राकृतिक स्रोत होते हैं।
(2) मच्छर जब इन संक्रमित जानवरों का खून चूसते हैं और फिर किसी इंसान को काटते हैं, तब वायरस मानव शरीर में प्रवेश कर जाता है।
(3) इंसानों से इंसानों में यह वायरस नहीं फैलता।
लक्षण (Symptoms) क्या होते हैं?
जापानी इंसेफेलाइटिस के लक्षण वायरस के शरीर में प्रवेश करने के 5-15 दिन बाद सामने आते हैं:
शुरुआती लक्षण:
तेज़ बुखार, सिरदर्द, उल्टी, गर्दन में अकड़न, चक्कर आना
गंभीर लक्षण: बेहोशी, दौरे (Seizures), कोमा में जाना, मानसिक असंतुलन, मृत्यु (कई मामलों में)
लगभग 1% संक्रमित लोग ही गंभीर रूप से बीमार होते हैं, लेकिन इन मामलों में मृत्यु दर 30% तक हो सकती है।
Assam में वर्तमान स्थिति (जुलाई 2025):
• गुवाहाटी: राज्य में जापानी इंसेफेलाइटिस से मौतों की संख्या बढ़कर 26 हो गई है। केवल पिछले एक हफ्ते में 12 मौतें दर्ज की गई हैं।
• राज्य के 33 में से 33 जिलों में JE फैल चुका है।
• केवल Dima Hasao और Hailakandi जिले अब तक सुरक्षित हैं।
• स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों को हाई अलर्ट पर रखा है।
• विशेष वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया गया है।
अन्य राज्यों की स्थिति:
उत्तर प्रदेश:
• JE का सबसे ज्यादा प्रभाव गोरखपुर और बस्ती मंडल में देखा जाता है।
• पिछले वर्षों में हजारों बच्चों की जान जा चुकी है।
• सरकार ने कई वैक्सीनेशन अभियान चलाए हैं।
बिहार:
• विशेषकर मुजफ्फरपुर में Acute Encephalitis Syndrome (AES) के मामलों के पीछे JE एक कारण रहा है।
• बच्चों में बीमारी ज्यादा देखने को मिलती है।
झारखंड और पश्चिम बंगाल:
• मानसून के समय JE के मामले बढ़ते हैं।
• सरकार ने सूअर पालन पर नियंत्रण और टीकाकरण कार्यक्रम लागू किए हैं।
तमिलनाडु और कर्नाटक:
• दक्षिण भारत में भी JE के छिटपुट मामले सामने आते हैं, लेकिन यहां की स्वास्थ्य सेवाएं तेजी से प्रतिक्रिया देती हैं।
उपचार (Treatment):
• इस बीमारी का कोई विशेष इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों का इलाज किया जाता है।
• अस्पतालों में supportive care दी जाती है जैसे बुखार कम करना, सांस की सहायता और दौरे रोकना।
• गंभीर मरीजों को ICU में भर्ती करना आवश्यक हो सकता है।
बचाव (Prevention) कैसे करें?
वैक्सीनेशन:
जापानी इंसेफेलाइटिस का वैक्सीन बच्चों और प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को लगाया जाता है।
भारत सरकार ने JE वैक्सीनेशन को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया है।
मच्छर नियंत्रण:
मच्छरदानी का प्रयोग करें।
शरीर को पूरी तरह ढंकने वाले कपड़े पहनें।
घर के आसपास पानी जमा न होने दें।
सूअर पालन क्षेत्रों से दूरी बनाएं।
स्वच्छता:
व्यक्तिगत और सामुदायिक सफाई रखें।
कीटनाशकों का छिड़काव करें।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
सभी जिलों में अलर्ट और निगरानी बढ़ाई गई है।
मोबाइल मेडिकल यूनिट्स तैनात की गई हैं।
स्कूलों में जागरूकता अभियान शुरू हुए हैं।
हाई रिस्क ज़ोन में वैक्सीनेशन तेज़ किया गया है।
जापानी इंसेफेलाइटिस से जुड़े तथ्य:
यह बीमारी पहली बार 1935 में जापान में पहचानी गई थी।
भारत में JE के सबसे ज्यादा मामले पूर्वी उत्तर प्रदेश, असम, बिहार, और पश्चिम बंगाल में देखे जाते हैं।
WHO के अनुसार, हर साल 68,000 से अधिक मामले एशिया में आते हैं।
जापानी इंसेफेलाइटिस एक घातक बीमारी है जो समय पर पहचान और सही रोकथाम के बिना जानलेवा साबित हो सकती है। वर्तमान में असम जैसे राज्यों में इसका तेजी से फैलना चिंताजनक है। इसके लिए सरकार, स्वास्थ्य विभाग, और आम लोगों को मिलकर काम करना होगा।
वैक्सीनेशन करवाना अनिवार्य बनाएं
मच्छरों से बचाव करें
बुखार को हल्के में न लें — तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
सावधानी ही इसका सबसे बड़ा इलाज है।
यदि आप असम या अन्य प्रभावित राज्य में रहते हैं, तो सावधानी बरतना और जागरूक रहना आपके और आपके परिवार के लिए जीवनरक्षक साबित हो सकता है।
Sources:
• Assam Govt. Health Bulletin (July 2025)
• Ministry of Health & Family Welfare, India
• WHO Reports on JE