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বিজ্ঞাপন

लिवर को फेल कर सकता है ये संक्रमण: हेपेटाइटिस-ए पर विस्तृत जानकारी




लिवर को फेल कर सकता है ये संक्रमण: हेपेटाइटिस-ए पर विस्तृत जानकारी

( Writer Apurba Das )


लिवर हमारे शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है, जो भोजन के पाचन, विषैले तत्वों के निष्कासन, और पोषक तत्वों के भंडारण जैसे कई आवश्यक कार्यों में भाग लेता है। लेकिन जब यह संक्रमित हो जाता है, तो शरीर की पूरी कार्यप्रणाली प्रभावित हो जाती है। ऐसे ही एक घातक संक्रमण का नाम है – हेपेटाइटिस-ए (Hepatitis A)।


विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हेपेटाइटिस-ए हर साल लगभग 1.4 मिलियन (14 लाख) से अधिक लोगों को प्रभावित करता है। भारत जैसे विकासशील देशों में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, गंदगी, दूषित पानी और अस्वच्छ भोजन के कारण इसका संक्रमण ज्यादा तेजी से फैलता है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह लिवर फेलियर (यकृत विफलता) का कारण भी बन सकता है।


हेपेटाइटिस-ए क्या है?


हेपेटाइटिस-ए एक संक्रामक वायरल रोग है, जो HAV (Hepatitis A Virus) के कारण होता है। यह मुख्य रूप से दूषित पानी और भोजन के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और लिवर में सूजन (inflammation) पैदा करता है। हालांकि यह हेपेटाइटिस बी और सी जितना खतरनाक नहीं माना जाता, परंतु कुछ मामलों में यह तीव्र लिवर फेलियर का कारण बन सकता है।




हेपेटाइटिस-ए संक्रमण से होने वाले सामान्य लक्षण (लक्षणों की सूची):


जब किसी व्यक्ति को हेपेटाइटिस-ए वायरस का संक्रमण होता है, तो शुरुआत में लक्षण बहुत सामान्य लग सकते हैं, लेकिन धीरे-धीरे ये लिवर की कार्यप्रणाली को प्रभावित करने लगते हैं।



संक्रमण के लक्षण – Hepatitis A ke Lakshan:


1. थकान और कमजोरी (Fatigue)


शरीर में लगातार थकावट रहना


कोई काम करने का मन न करना


2. भूख न लगना (Loss of Appetite)


खाने में रुचि न रहना , स्वाद का अभाव


3. मतली और उल्टी (Nausea & Vomiting)


पेट खराब रहना , उल्टी जैसा महसूस होना या उल्टी होना


4. बुखार (Mild Fever)


हल्का बुखार जो लंबे समय तक बना रहे


5. पेट में दर्द (Abdominal Pain)


खासकर दाईं ओर ऊपर की तरफ (जहां लिवर होता है)


6. पीलिया (Jaundice)


त्वचा और आंखों की सफेदी का पीला हो जाना


मूत्र का रंग गहरा पीला या भूरा हो जाना , मल का रंग हल्का होना


7. जोड़ों में दर्द (Joint Pain)


शरीर के जोड़ो में हल्का-फुल्का दर्द


8. मूत्र में बदलाव (Dark Urine)


पेशाब का रंग सामान्य से गहरा होना


9. त्वचा में खुजली (Itching)


शरीर में हल्की खुजली होना, विशेष रूप से रात को


 


लक्षण कब दिखाई देते हैं?


हेपेटाइटिस-ए का इनक्यूबेशन पीरियड (संक्रमण के बाद लक्षण आने का समय) आमतौर पर 15 से 50 दिन होता है। अधिकतर लोगों में 28-30 दिन के भीतर लक्षण दिखाई देने लगते हैं।



कब डॉक्टर से मिलना चाहिए?


यदि निम्न में से कोई भी लक्षण लगातार बना रहे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:


• आँखों और त्वचा का पीला पड़ना


• लगातार उल्टी या भूख न लगना


• पेशाब का रंग गहरा होना


• अत्यधिक थकान और कमजोरी




हेपेटाइटिस-ए से बचाव के उपाय :


संक्रमण से बचने के लिए कुछ सरल, परंतु प्रभावशाली उपाय अपनाना जरूरी है:


1. साफ पानी का उपयोग करें


हमेशा उबला हुआ या फिल्टर किया हुआ पानी ही पिएं। बाहर का गंदा या खुला पानी पीने से बचें।


2. स्वच्छता का पालन करें


भोजन से पहले और शौच के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं। बच्चों को भी यह आदत सिखाएं।


3. ताजा और पका हुआ भोजन करें

कच्चे फल और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर ही खाएं। स्ट्रीट फूड और कटे हुए फलों से परहेज करें।


4. टीकाकरण (Vaccination)


हेपेटाइटिस-ए से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, जो संक्रमण के जोखिम को कम करता है। बच्चों, यात्रा करने वालों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को यह वैक्सीन अवश्य लेनी चाहिए।




आयुर्वेदिक चिकित्सा से हेपेटाइटिस-ए का उपचार :


भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद में लिवर रोगों के इलाज के लिए अनेक औषधियों और विधियों का वर्णन है। नीचे कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक उपचार दिए गए हैं:


1. भूमि आंवला (Bhumi Amla)


यह एक शक्तिशाली लिवर टॉनिक है जो लिवर की सूजन को कम करता है और विषैले तत्वों को बाहर निकालता है। इसका रस या चूर्ण दिन में दो बार लिया जा सकता है।


2. कटुकी (Kutki)


यह आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी लिवर को मजबूत बनाती है और पाचन तंत्र को दुरुस्त करती है। 1 ग्राम कटुकी चूर्ण को शहद या गुनगुने पानी के साथ सेवन करें।


3. गिलोय (Giloy)


गिलोय एक प्राकृतिक इम्युनिटी बूस्टर है, जो लिवर की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है। गिलोय का रस सुबह खाली पेट लेने से लाभ होता है।


4. पुनर्नवा (Punarnava)


पुनर्नवा जड़ी-बूटी लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करती है और सूजन कम करती है।


नोट: आयुर्वेदिक दवाएं हमेशा विशेषज्ञ वैद्य से परामर्श के बाद ही लें।



एलोपैथिक चिकित्सा :


एलोपैथिक प्रणाली में हेपेटाइटिस-ए का कोई विशेष एंटीवायरल इलाज नहीं होता। इसका उपचार मुख्यतः लक्षणों के आधार पर किया जाता है:


1. आराम


शरीर को पूर्ण विश्राम देना आवश्यक है, ताकि लिवर स्वयं को पुनः स्वस्थ कर सके।


2. हाइड्रेशन


मरीज को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ जैसे ORS, नींबू पानी, नारियल पानी आदि दिए जाते हैं।


3. दवाएं


बुखार, उल्टी, या दर्द के लिए पेरासिटामोल जैसी सामान्य दवाएं दी जाती हैं।


लिवर टॉनिक या सपोर्टिव मेडिकेशन भी डॉक्टर की सलाह पर लिया जा सकता है।



हेपेटाइटिस-ए में क्या नहीं खाना चाहिए?


संक्रमण के दौरान लिवर कमजोर हो जाता है, इसलिए कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज आवश्यक है:


1. तला-भुना और मसालेदार खाना


ये भोजन लिवर पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं और सूजन बढ़ा सकते हैं।


2. मांसाहार


हेपेटाइटिस के दौरान नॉनवेज से बचना चाहिए क्योंकि यह पचाने में भारी होता है।


3. अत्यधिक नमक और चीनी


सोडियम और शुगर लिवर की कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं।


4. अल्कोहल और धूम्रपान


यह लिवर के लिए अत्यंत घातक हैं। संक्रमित अवस्था में बिल्कुल वर्जित हैं।


क्या खाएं?


• दालिया, खिचड़ी, दलिया

हल्का और सुपाच्य भोजन जो पेट पर भार नहीं डालता।


• नारियल पानी, फलों का रस

शरीर को हाइड्रेट रखते हैं और ऊर्जा प्रदान करते हैं।


• पपीता, सेब, केला

ऐसे फल जो पाचन में आसान हों।


• गुनगुना पानी


पाचन में मदद करता है और शरीर को डिटॉक्स करता है।



हेपेटाइटिस-ए एक संक्रामक लेकिन नियंत्रित किया जा सकने वाला रोग है। यदि स्वच्छता, भोजन की सुरक्षा और व्यक्तिगत हाइजीन का ध्यान रखा जाए, तो इस संक्रमण से आसानी से बचा जा सकता है। समय पर वैक्सीनेशन, आयुर्वेदिक और एलोपैथिक उपचार, और संतुलित आहार से लिवर को स्वस्थ रखा जा सकता है।


याद रखें, लिवर शरीर की ‘रासायनिक फैक्ट्री’ है। अगर यह बीमार हो जाए, तो पूरा शरीर उसका असर झेलता है। इसलिए समय रहते सतर्क रहें और अपने लिवर को सुरक्षित रखें।

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