IIT बॉम्बे और Google मिलकर बनाएंगे भारतीय भाषाओं का AI मॉडल, छात्रों को मिलेगा फ्री AI टूल
By Good Assam
आज के डिजिटल युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा बनता जा रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, सुरक्षा और संचार जैसे क्षेत्रों में AI ने क्रांतिकारी परिवर्तन लाए हैं। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए टेक्नोलॉजी की दिग्गज कंपनी गूगल ने IIT बॉम्बे के साथ हाथ मिलाया है। इस साझेदारी का उद्देश्य है – भारतीय भाषाओं के लिए लोकल AI मॉडल का विकास।
क्या है यह साझेदारी?
गूगल और IIT बॉम्बे का यह सहयोग BharatGen Project के अंतर्गत किया गया है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य है भारतीय भाषाओं के लिए ऐसे AI टूल्स तैयार करना, जो न केवल लोगों की रोज़मर्रा की डिजिटल जरूरतों को पूरा करें, बल्कि भारतीय भाषाओं को डिजिटल दुनिया में सम्मान और पहचान दिलाएं।
इस परियोजना के तहत विशेष रूप से स्पीच रिकग्निशन (बोल कर टेक्स्ट बनाना), टेक्स्ट-टू-स्पीच (लिखे हुए को आवाज़ में बदलना), और अन्य भाषाई AI टूल्स विकसित किए जाएंगे। यह तकनीक ग्रामीण भारत, छात्रों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और आम लोगों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
कहां हुई इसकी घोषणा?
इस साझेदारी की घोषणा गूगल I/O Connect India 2025 नामक कार्यक्रम के दौरान बेंगलुरु में की गई। इस कार्यक्रम में गूगल डीप माइंड के इंडिया और एशिया-पैसिफिक सीनियर डायरेक्टर मनीष गुप्ता ने कहा कि यह कदम भारत की भाषाई विविधता को टेक्नोलॉजी से जोड़ने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।
क्यों है यह कदम खास?
भारत में 22 से अधिक मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं, और सैकड़ों बोलियां अलग-अलग क्षेत्रों में बोली जाती हैं। हालांकि इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं में अब तक मुख्य रूप से अंग्रेजी या कुछ चुनिंदा भाषाओं का ही वर्चस्व रहा है। ऐसे में लोकल AI मॉडल्स का निर्माण निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:
• भाषाई समावेशन: यह परियोजना भारत के हर कोने में बोली जाने वाली भाषाओं को तकनीकी दुनिया से जोड़ेगी।
• शिक्षा में सहूलियत: AI टूल्स छात्रों को उनकी मातृभाषा में पढ़ने, समझने और संवाद करने में मदद करेंगे।
• डिजिटल समावेशन: ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट और स्मार्टफोन के प्रसार के बावजूद भाषा एक बड़ी बाधा रही है। AI टूल्स उस बाधा को तोड़ने में मदद करेंगे।
• नौकरी और नवाचार: छात्रों और नवाचारकों के लिए यह तकनीक नए आइडियाज और स्टार्टअप की प्रेरणा बनेगी।
छात्रों के लिए क्या मिलेगा?
गूगल और IIT बॉम्बे के इस साझेदारी के तहत विकसित किए जा रहे AI टूल्स को छात्रों के लिए निःशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा। इनमें शामिल होंगे:
• टेक्स्ट-टू-स्पीच कन्वर्टर: जिससे छात्र अपनी पसंदीदा किताबें या पाठ्य सामग्री को सुन सकेंगे।
• स्पीच-टू-टेक्स्ट टूल: जिससे बोलकर नोट्स बनाना या उत्तर लिखना आसान होगा।
• भाषा अनुवाद टूल: जो एक भारतीय भाषा से दूसरी भारतीय भाषा में अनुवाद कर सकेगा।
BharatGen प्रोजेक्ट क्या है?
BharatGen IIT बॉम्बे की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य भारत की भाषाई विविधता को तकनीकी प्लेटफ़ॉर्म पर सशक्त बनाना है। इसके तहत वे AI मॉडल्स तैयार कर रहे हैं जो भारतीय भाषाओं के उच्चारण, व्याकरण, और अर्थों को गहराई से समझ सकें। गूगल का सहयोग इस परियोजना को और भी मजबूती देगा।
तकनीकी पक्ष पर क्या होगा फोकस?
• गूगल और IIT बॉम्बे निम्नलिखित क्षेत्रों में विशेष अनुसंधान और विकास करेंगे:
• Large Language Models (LLM) का लोकलाइजेशन
• डेटा सेट्स का निर्माण और ओपन सोर्स रिलीज़
• क्लाउड सपोर्ट के जरिए छात्रों को AI टूल्स उपलब्ध कराना
• शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना
गूगल की प्रतिबद्धता :
गूगल ने हाल ही के वर्षों में भारत को एक प्रमुख तकनीकी केंद्र के रूप में देखा है। चाहे वो Google for India पहल हो, AI रिसर्च सेंटर का निर्माण हो या स्टार्टअप्स को सपोर्ट करना — गूगल भारत में दीर्घकालिक निवेश कर रहा है। इस बार वह भारत की भाषाई आत्मा को तकनीक से जोड़ने की पहल कर रहा है।
• IIT बॉम्बे की भूमिका
IIT बॉम्बे पहले से ही कंप्यूटर साइंस और भाषा प्रोसेसिंग में अग्रणी संस्थान रहा है। उसके पास भाषाई अनुसंधान, डेटा एनोटेशन, और मशीन लर्निंग मॉडल्स के क्षेत्र में व्यापक अनुभव है। BharatGen प्रोजेक्ट को इस संस्थान का तकनीकी और अकादमिक नेतृत्व प्राप्त है।
आम जनता को कैसे होगा फायदा?
• ग्रामीण और कम साक्षर वर्ग को आवाज मिलेगी
• सरकारी योजनाओं की जानकारी सरल भाषा में मिलेगी
• डिजिटल इंडिया मिशन को मिलेगा नया आयाम
• सांस्कृतिक विरासत और बोलियों का संरक्षण होगा
• दिव्यांग व्यक्तियों के लिए विशेष उपयोगी साबित होगा स्पीच टूल्स
• आगे की दिशा : यह साझेदारी केवल एक शुरुआत है। भविष्य में गूगल और अन्य तकनीकी संस्थाएं भारत के और भी संस्थानों से मिलकर ऐसे AI मॉडल्स बना सकती हैं जो पूरी दुनिया के लिए उदाहरण बनें। साथ ही भारत के युवाओं को Global AI Innovation में नेतृत्व करने का मौका भी मिलेगा।
गूगल और IIT बॉम्बे की यह ऐतिहासिक साझेदारी भारतीय भाषाओं को तकनीक के साथ जोड़ने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह न केवल भाषाई समावेशन को प्रोत्साहित करेगा बल्कि शिक्षा, रोजगार, नवाचार और डिजिटल समावेशन को भी मजबूती प्रदान करेगा। आने वाले वर्षों में यह पहल करोड़ों भारतीयों के जीवन को छूने और बदलने की क्षमता रखती है।
“AI तब तक संपूर्ण नहीं हो सकता, जब तक वह हर भाषा, हर आवाज़ और हर व्यक्ति को पहचान न दे।”
इस साझेदारी के माध्यम से भारत उस दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।