मोबाइल रेडिएशन क्या है और क्या यह दिमाग पर असर डालता है?
Writer : Apurba Das
आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन हमारी जीवनशैली का अहम हिस्सा बन चुका है। चाहे संचार हो, इंटरनेट का उपयोग या मनोरंजन – हर कार्य के लिए हम मोबाइल पर निर्भर हैं। लेकिन जिस तकनीक ने हमें इतनी सुविधाएं दी हैं, क्या वह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन सकती है? यह सवाल खासकर "मोबाइल रेडिएशन" को लेकर उठता है। क्या वास्तव में मोबाइल रेडिएशन हमारे दिमाग पर असर डालता है? आइए इस विषय को विस्तार से समझते हैं।
मोबाइल रेडिएशन क्या है?
मोबाइल फोन एक वायरलेस डिवाइस है, जो सिग्नल भेजने और प्राप्त करने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स का उपयोग करता है। यह RF विकिरण एक प्रकार का नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन होता है, जिसका मतलब है कि यह सीधे डीएनए को नुकसान नहीं पहुंचा सकता, लेकिन लंबे समय तक संपर्क में रहने पर शरीर पर प्रभाव डाल सकता है।
जब हम कॉल करते हैं, इंटरनेट का उपयोग करते हैं या कोई ऐप चलाते हैं, तब मोबाइल फोन आस-पास के टावर से सिग्नल लेने के लिए उच्च आवृत्ति (frequency) पर तरंगें उत्पन्न करता है। यह तरंगें रेडिएशन के रूप में हमारे शरीर, विशेषकर दिमाग के पास उत्सर्जित होती हैं क्योंकि हम फोन को कान से लगाकर बात करते हैं।
SAR वैल्यू क्या है?
हर मोबाइल की एक SAR (Specific Absorption Rate) वैल्यू होती है, जो यह बताती है कि शरीर कितना रेडिएशन अवशोषित कर रहा है। भारत में अधिकतम SAR सीमा 1.6 W/kg निर्धारित की गई है। जितनी कम SAR वैल्यू होगी, उतना ही कम रेडिएशन हमारे शरीर में जाएगा।
नीचे दिया गया कोड टाइप करें:
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• यह कोड डायल करते ही स्क्रीन पर SAR वैल्यू दिखाई देगी।
• इसमें दो प्रकार की वैल्यू दिख सकती हैं:
(1) Head SAR (जब आप फोन को कान से लगाते हैं)
(2) Body SAR (जब फोन जेब या शरीर के पास होता है)
मोबाइल रेडिएशन का दिमाग पर असर :
अब सवाल यह उठता है कि क्या यह रेडिएशन हमारे मस्तिष्क को प्रभावित करता है? इसके लिए अनेक शोध और अध्ययन किए गए हैं। कुछ प्रमुख संभावित प्रभाव निम्नलिखित हैं:
1. मस्तिष्क की तंत्रिकाओं पर असर (Effect on Neurons)
जब मोबाइल को लंबे समय तक कान से लगाकर बात की जाती है, तो रेडिएशन मस्तिष्क के नजदीक रहता है। कुछ वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, इससे मस्तिष्क की तंत्रिकाओं पर सूक्ष्म प्रभाव हो सकते हैं, जैसे:
न्यूरल एक्टिविटी में बदलाव
मेमोरी (स्मृति) में कमी
एकाग्रता में दिक्कत
2. नींद की गुणवत्ता पर असर (Sleep Disturbance)
मोबाइल रेडिएशन मेलाटोनिन हार्मोन के उत्पादन को प्रभावित कर सकता है। यह हार्मोन नींद को नियंत्रित करता है। रात को मोबाइल का ज्यादा उपयोग अनिद्रा (insomnia), बेचैनी और थकावट का कारण बन सकता है।
3. सिरदर्द और थकान
कुछ लोग मोबाइल पर लंबे समय तक बात करने के बाद सिरदर्द, आंखों में जलन या थकान महसूस करते हैं। यह भी रेडिएशन के कारण हो सकता है।
4. बच्चों पर असर
बच्चों का दिमाग व शरीर वयस्कों की तुलना में अधिक संवेदनशील होता है। इसलिए बच्चों के मोबाइल उपयोग से रेडिएशन का असर ज्यादा गंभीर हो सकता है – जैसे मस्तिष्क विकास में बाधा, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई आदि।
क्या मोबाइल रेडिएशन से कैंसर हो सकता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और International Agency for Research on Cancer (IARC) ने मोबाइल रेडिएशन को "संभवतः कैंसरकारी (possibly carcinogenic)" श्रेणी में रखा है। इसका मतलब है कि मोबाइल रेडिएशन से कैंसर होने की संभावना को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता।
हालांकि अभी तक कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है कि मोबाइल फोन के उपयोग से सीधे कैंसर होता है, लेकिन दीर्घकालीन और अत्यधिक उपयोग खतरनाक हो सकता है।
मोबाइल रेडिएशन से बचने के उपाय :
हालांकि मोबाइल फोन पूरी तरह छोड़ना संभव नहीं है, लेकिन इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित सुझाव अपनाएं:
1. ईयरफोन या स्पीकर मोड का उपयोग करें
कॉल करते समय फोन को कान से लगाकर बात करने के बजाय ईयरफोन या स्पीकर का उपयोग करें। इससे रेडिएशन सीधे सिर पर नहीं पड़ेगा।
2. फोन को सिर से दूर रखें
जब तक कॉल कनेक्ट न हो जाए, तब तक फोन को कान से दूर रखें, क्योंकि कनेक्ट होते समय सबसे ज्यादा रेडिएशन उत्सर्जित होता है।
3. रात को मोबाइल से दूरी बनाए रखें
सोते समय मोबाइल को सिरहाने न रखें। इसे हवाई जहाज मोड (Airplane Mode) में डालें या कम से कम 1-2 फीट दूर रखें।
4. मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग न करें
वॉइस कॉल की जगह टेक्स्ट मैसेज या चैटिंग का उपयोग करें। ज्यादा देर मोबाइल पर बात करने से बचें।
5. SAR वैल्यू चेक करें
फोन खरीदते समय उसकी SAR वैल्यू देखें और कम SAR वाले फोन का ही चयन करें।
6. बच्चों को मोबाइल कम दें
छोटे बच्चों को मोबाइल इस्तेमाल करने की अनुमति सीमित करें। उनकी सुरक्षा सर्वोपरि है।
सरकारी और वैश्विक मानक :
भारत सरकार ने मोबाइल कंपनियों के लिए SAR वैल्यू की सीमा 1.6 W/kg तय की है। मोबाइल टावरों के लिए भी रेडिएशन मानकों को सख्त किया गया है। WHO, IARC, और FCC जैसी संस्थाएं लगातार मोबाइल रेडिएशन पर अध्ययन कर रही हैं और गाइडलाइन जारी करती रहती हैं।
मोबाइल रेडिएशन एक अदृश्य खतरा है, जिसे हम नजरअंदाज कर देते हैं। हालांकि यह रेडिएशन सीधे और त्वरित रूप से नुकसान नहीं पहुंचाता, लेकिन दीर्घकालीन और अत्यधिक संपर्क में रहने से यह हमारे मस्तिष्क और स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है।
इसलिए मोबाइल का संतुलित और सुरक्षित उपयोग करना ही बुद्धिमानी है। ईयरफोन का प्रयोग, नींद के दौरान दूरी बनाए रखना और बच्चों को सीमित उपयोग की सलाह देना – ये सब छोटे-छोटे कदम हमारे स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं।