कर्नाटक के धर्मस्थल मंदिर में सैकड़ों महिलाओं के बलात्कार और हत्या का मामला – एक विस्तृत रिपोर्ट
( By Good Assam ) Jul 23, 2025
कर्नाटक के तटीय जिले दक्षिण कन्नड़ के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल धर्मस्थल मंदिर में बीते कुछ वर्षों में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। एक पूर्व सफाईकर्मी द्वारा अदालत में किए गए गंभीर खुलासों में दावा किया गया है कि मंदिर परिसर में 1998 से 2014 के बीच सैकड़ों महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार और हत्या की गई और फिर उनके शवों को मंदिर क्षेत्र में ही गुपचुप तरीके से दफना या जला दिया गया।
इस सनसनीखेज मामले ने न केवल स्थानीय प्रशासन को हिला कर रख दिया है, बल्कि पूरे राज्य और देश में चिंता और आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। अब यह मामला विशेष जांच टीम (SIT) को सौंपा गया है और जांच की प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है।
Source: ABP News Video
कैसे खुलासा हुआ यह मामला?
मामला तब सामने आया जब एक पूर्व सफाईकर्मी—जो लगभग 19 वर्षों तक मंदिर परिसर में काम करता रहा—ने अदालत में एक गुप्त हलफनामा देकर चौंकाने वाला दावा किया। उसने बताया कि उसे कई बार ऐसे शवों को नदी के पास या मंदिर की जमीन में गुप्त रूप से दफनाने या जलाने के निर्देश दिए गए, जिनमें अधिकतर शव महिलाएं थीं।
उसका कहना है कि शवों पर बलात्कार के निशान, फांसी के निशान, चोटें और निर्वस्त्र हालत में पाए जाने जैसे संकेत मौजूद थे। कुछ मामलों में तो महिलाओं के शरीर के अंग भी कटे हुए थे।
इस गवाह ने न्यायालय में अपने चेहरे को ढक कर, पहचान गुप्त रखते हुए यह बयान दिया। उसने कोर्ट से मांग की कि उसे और उसके परिवार को सुरक्षा दी जाए, और एफएसएल (Forensic Science Laboratory) द्वारा खुदाई और डीएनए जांच की जाए।
आरोप कितने गंभीर हैं? गवाह के अनुसार:
1998 से 2014 के बीच सैकड़ों शव गुपचुप तरीके से नष्ट किए गए।
अधिकतर शवों में यौन उत्पीड़न के प्रमाण थे।
मंदिर प्रबंधन के कुछ प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत का शक है।
शवों को या तो मंदिर के पीछे नदी के किनारे, या मंदिर की जमीन में गड्ढे खोदकर दबाया गया।
शिकायतकर्ता को यह कार्य मजबूरी में करने पड़े, लेकिन अब वह पछता रहा है और न्याय चाहता है।
ऐतिहासिक संदर्भ – यह पहला आरोप नहीं है :
धर्मस्थल मंदिर दक्षिण भारत का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो वीरेन्द्र हेग्गड़े परिवार द्वारा संचालित होता है। यह परिवार वर्षों से यहां का प्रशासन देखता आया है।
2003 में एक मेडिकल छात्रा के गायब होने की घटना सामने आई थी, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
2012 में एक युवती सोजन्या की बलात्कार और हत्या का मामला सामने आया था, जो इसी क्षेत्र से जुड़ा था।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पहले भी मंदिर में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए थे।
इन घटनाओं के बावजूद आज तक कोई बड़ी जांच नहीं हुई थी।
सरकार की प्रतिक्रिया – SIT (Special Investigation Team) का गठन :
जैसे ही मामला सार्वजनिक हुआ, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 20 जुलाई 2025 को एक उच्चस्तरीय विशेष जांच टीम (SIT) के गठन की घोषणा की। इस टीम का नेतृत्व एडीजीपी (ADGP) प्रणब मोहन्ती कर रहे हैं।
SIT को निम्नलिखित जिम्मेदारियाँ दी गई हैं:
आरोपों की गहराई से जांच करना।
मंदिर परिसर और आसपास के इलाकों में खुदाई कर शवों की तलाश करना।
डीएनए परीक्षण और फोरेंसिक रिपोर्ट तैयार करना।
गवाहों की सुरक्षा और बयान रिकॉर्ड करना।
पूर्व में दर्ज गुमशुदगी और हत्या के मामलों को दोबारा खंगालना।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यदि आरोप सही साबित हुए तो दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों।
मंदिर प्रशासन का पक्ष :
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और प्रसिद्ध धार्मिक नेता वीरेन्द्र हेग्गड़े ने मीडिया के सामने बयान दिया कि मंदिर हमेशा से धार्मिक और सांस्कृतिक शांति का प्रतीक रहा है। उन्होंने कहा कि वे किसी भी तरह की निष्पक्ष जांच का स्वागत करते हैं और अगर मंदिर में कोई गलत कार्य हुआ है, तो उसे उजागर होना चाहिए।
हालांकि मंदिर ट्रस्ट ने यह भी कहा कि गवाह के आरोप "मनगढ़ंत" और "पूर्वाग्रह से प्रेरित" हो सकते हैं। उन्होंने जांच पूरी होने तक संयम बरतने की अपील की है।
सामाजिक और राजनीतिक हलचल :
इस मामले ने समाज में गहरी चिंता पैदा की है। महिला संगठनों, मानवाधिकार संस्थाओं, वकीलों और छात्र यूनियनों ने इस मुद्दे को लेकर आवाज़ बुलंद की है। उनकी मुख्य मांगें हैं:
पूरे मंदिर क्षेत्र की फोरेंसिक खुदाई कराई जाए।
सभी पुरानी गुमशुदगी रिपोर्टों की पुनः जांच की जाए।
SIT को पूरी कानूनी स्वतंत्रता और संसाधन दिए जाएं।
गवाह की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
राजनीतिक तौर पर भी यह मामला गर्माया है। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि इतने वर्षों तक इस मामले को दबाया गया। जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि अब निष्पक्ष जांच से ही सच सामने आएगा।
आगे की राह :
SIT अब जल्द ही मंदिर क्षेत्र और नदी किनारे खुदाई शुरू करने वाली है। फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स, जियोलॉजिस्ट, डीएनए वैज्ञानिकों की मदद ली जाएगी। पुलिस पुराने रिकार्ड और गुमशुदा लोगों की सूची को खंगाल रही है।
यदि इन आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह मामला देश का सबसे बड़ा संस्थागत यौन उत्पीड़न और हत्या कांड बन सकता है।
धर्मस्थल मंदिर प्रकरण एक गंभीर मानवीय, सामाजिक और नैतिक संकट है। यदि आरोप सही हैं तो यह केवल एक धार्मिक स्थल पर अपराध नहीं, बल्कि विश्वास, व्यवस्था और महिला सुरक्षा की पूर्ण विफलता का प्रतीक है।
अब सबकी निगाहें SIT और सरकार की कार्रवाई पर हैं। क्या गवाह को न्याय मिलेगा? क्या दबे हुए शव बाहर आएंगे? क्या दशकों से पीड़ित परिवारों को जवाब मिलेगा?
यह वक्त सिर्फ जांच का नहीं, बल्कि जवाबदेही, इंसाफ और सामाजिक सुधार का है। कर्नाटक की जनता और देश आज एक कठिन सत्य की ओर देख रही है—जो या तो अंधकार को उजागर करेगा, या फिर सिस्टम की गहराई में फिर से दबा दिया जाएगा।