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বিজ্ঞাপন

हेपेटाइटिस A, B, C, D और E वायरस से होने वाले लिवर रोग से सावधान: संक्रमण, लक्षण, बचाव और उपचार




हेपेटाइटिस A, B, C, D और E वायरस से होने वाले लिवर रोग से सावधान: संक्रमण, लक्षण, बचाव और उपचार

( Apurba Das )

लिवर (यकृत) हमारे शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है, जो भोजन को पचाने, विषैले तत्वों को बाहर निकालने, ऊर्जा संग्रह करने और शरीर में विभिन्न आवश्यक प्रोटीन बनाने का कार्य करता है। जब लिवर में सूजन या संक्रमण हो जाता है, तो उसे हेपेटाइटिस कहा जाता है। यह संक्रमण विशेष रूप से हेपेटाइटिस वायरस के कारण होता है, जिसमें पाँच प्रमुख प्रकार होते हैं – हेपेटाइटिस A, B, C, D और E।

इन वायरसों के कारण लिवर में गंभीर क्षति हो सकती है और यदि समय पर इलाज न हो तो यह जिंदगी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। आइए जानते हैं कि ये वायरस कैसे फैलते हैं, इसके लक्षण क्या होते हैं, और इससे बचाव और उपचार कैसे किया जा सकता है।

1. हेपेटाइटिस A (HAV): कैसे फैलता है:

• संक्रमित व्यक्ति के मल से दूषित भोजन या पानी के माध्यम से।

• खराब स्वच्छता या खुले में शौच की वजह से।

• दूषित सब्जियाँ, अधपका खाना, सड़क किनारे का खाना।

◽लक्षण:

• बुखार

• कमजोरी

• पेट दर्द

• मिचली व उल्टी

• आँखों और त्वचा का पीला पड़ना (पीलिया)

• गहरे रंग का पेशाब

◽बचाव:

• स्वच्छ जल और भोजन का सेवन करें।

• हाथ धोने की आदत डालें, विशेषकर शौच के बाद और खाना खाने से पहले।

• बच्चों को हेपेटाइटिस A का टीका लगवाएँ।

◽इलाज:

• हेपेटाइटिस A का कोई विशेष इलाज नहीं होता। यह अपने आप ठीक हो जाता है।

• रोगी को आराम और हल्का सुपाच्य भोजन देना चाहिए।

• पर्याप्त पानी पिएं और शरीर को हाइड्रेट रखें।





2. हेपेटाइटिस B (HBV): कैसे फैलता है:

• संक्रमित रक्त, वीर्य, या अन्य शरीर द्रवों के संपर्क से।

• असुरक्षित यौन संबंध

• संक्रमित सुइयों का प्रयोग (ड्रग्स, टैटू, या मेडिकल कारणों से)

• माँ से बच्चे में गर्भावस्था या जन्म के दौरान

• संक्रमित ब्लड ट्रांसफ्यूजन


◽लक्षण:

• कई बार कोई लक्षण नहीं होते (साइलेंट इन्फेक्शन)

• थकान और कमजोरी

• भूख न लगना

• मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द

• पीलिया

• बुखार

◽बचाव:

• हेपेटाइटिस B का टीकाकरण सबसे प्रभावी तरीका है।

• ब्लड और शरीर के द्रवों से संपर्क से बचें।

• केवल सर्टिफाइड ब्लड बैंकों से ही खून चढ़वाएं।

• सुइयों और चिकित्सीय उपकरणों को स्टरलाइज़ कराएं।

◽इलाज:

• यदि संक्रमण क्रोनिक (लंबे समय तक) हो जाए तो दवाइयाँ दी जाती हैं जैसे — टेनोफोविर, एन्टेकाविर आदि।

• नियमित लिवर टेस्ट और डॉक्टर की निगरानी जरूरी है।

• गंभीर मामलों में लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता हो सकती है।


3. हेपेटाइटिस C (HCV): कैसे फैलता है:

• संक्रमित खून के संपर्क से।

• बिना जाँच के ब्लड ट्रांसफ्यूजन।

• संक्रमित इंजेक्शन या निडल्स का प्रयोग।

• असुरक्षित टैटू बनवाना।

• यौन संबंध से भी, परंतु कम संभावना होती है।


◽लक्षण:

• अधिकतर मामलों में लक्षण नहीं दिखाई देते।

• थकावट, भूख की कमी, पेट में दर्द।

• समय के साथ लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर का खतरा।

◽बचाव:

• फिलहाल कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, इसलिए सावधानी ही एकमात्र उपाय है।

• ब्लड ट्रांसफ्यूजन से पहले टेस्ट करवाएं।

• व्यक्तिगत रेजर, ब्रश आदि किसी के साथ साझा न करें।

◽इलाज:

• एंटीवायरल दवाइयों से इलाज संभव है।

• आजकल Direct-Acting Antivirals (DAAs) से 95% तक इलाज संभव है।

• इलाज डॉक्टर के परामर्श से करें।


4. हेपेटाइटिस D (HDV): कैसे फैलता है:

• यह वायरस केवल उन लोगों को संक्रमित करता है जो पहले से हेपेटाइटिस B से संक्रमित हैं।

• संक्रमित रक्त या शरीर द्रव से।

• संक्रमित माँ से बच्चे में।

◽लक्षण:

• हेपेटाइटिस B जैसे ही लक्षण होते हैं, लेकिन अधिक गंभीर होते हैं।

• तेजी से लिवर फेलियर की संभावना रहती है।

◽बचाव:

• चूंकि यह हेपेटाइटिस B पर निर्भर करता है, इसलिए B का वैक्सीन लगवाकर HDV से भी बचा जा सकता है।

◽इलाज:

• इलाज सीमित है, लेकिन इंटरफेरॉन थेरेपी का उपयोग किया जाता है।

• रोग की गंभीरता के अनुसार लिवर ट्रांसप्लांट आवश्यक हो सकता है।

5. हेपेटाइटिस E (HEV): कैसे फैलता है:

• दूषित पानी और खराब स्वच्छता के माध्यम से।

• संक्रमित व्यक्ति के मल के संपर्क से।

◽लक्षण:

• हेपेटाइटिस A जैसे ही लक्षण होते हैं।

• गर्भवती महिलाओं में यह अधिक गंभीर हो सकता है, और जानलेवा भी हो सकता है।

◽बचाव:

• साफ पानी पिएं (उबालकर या फिल्टर कर के)।

• हाथ धोने की आदत डालें।

• सड़क किनारे का भोजन और कच्चा खाना न खाएं।

◽इलाज:

• यह संक्रमण आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है।

• गर्भवती महिलाओं को विशेष निगरानी में रखा जाना चाहिए।




हेपेटाइटिस A से लेकर E तक के सभी वायरस लिवर को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन समय पर पहचान, उचित इलाज, टीकाकरण और सावधानी से इनसे बचा जा सकता है। साफ-सफाई, सुरक्षित यौन संबंध, टीकाकरण, और संक्रमित वस्तुओं से बचाव के उपाय अपनाकर हम इस गंभीर रोग से सुरक्षित रह सकते हैं।

अगर शरीर में ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और लिवर की जांच करवाएं। जागरूकता और सावधानी ही इस रोग से बचने का सबसे बड़ा हथियार है।







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