रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? – एक विस्तृत जानकारी
( Apurba Das )
रक्षाबंधन भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे देश में बड़े ही उत्साह और प्रेम के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। "रक्षा" का अर्थ है सुरक्षा और "बंधन" का अर्थ है बंधन या डोर। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी (एक पवित्र धागा) बांधती है और भाई जीवन भर उसकी रक्षा करने का वचन देता है।
लेकिन रक्षाबंधन केवल एक भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है। इसका सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। यह पर्व प्रेम, विश्वास, सुरक्षा और एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक है। आइए, विस्तार से जानते हैं कि रक्षाबंधन क्यों और कैसे मनाया जाता है।
1. रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व
रक्षाबंधन की जड़ें हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में गहरी हैं। कई कथाएं इस त्योहार के महत्व को दर्शाती हैं—
(क) इंद्र और इंद्राणी की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवताओं और दानवों के बीच युद्ध चल रहा था। युद्ध में देवता कमजोर पड़ रहे थे। तब इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने एक रक्षासूत्र तैयार किया और उसे इंद्र की कलाई पर बांधा। इस सूत्र ने उन्हें शक्ति और विजय का आशीर्वाद दिया। इसी घटना के बाद रक्षा-सूत्र बांधने की परंपरा शुरू हुई।
(ख) कृष्ण और द्रौपदी की कथा
महाभारत में वर्णित है कि जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल वध के समय अपनी उंगली काट ली थी, तो द्रौपदी ने अपने साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। यह द्रौपदी का रक्षा-सूत्र था। इसके बदले में कृष्ण ने जीवनभर उसकी रक्षा का वचन दिया और चीरहरण के समय उन्होंने द्रौपदी की लाज बचाई।
(ग) यम और यमुनाजी की कथा
कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यम की बहन यमुनाजी उनसे मिलने आईं और प्रेमपूर्वक उनका स्वागत किया। उन्होंने यम के हाथ पर रक्षा-सूत्र बांधा। इससे प्रसन्न होकर यम ने घोषणा की कि जो भी बहन अपने भाई को रक्षा-सूत्र बांधेगी, उसके भाई की उम्र लंबी होगी।
2. रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व
(क) रानी कर्णावती और हुमायूं
मध्यकाल में चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने बहादुर शाह से अपने राज्य को बचाने के लिए मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी थी। रानी की राखी पाकर हुमायूं ने बहन की लाज बचाने के लिए तुरंत चित्तौड़ की रक्षा की।
(ख) सिकंदर और पोरस
इतिहास में एक प्रसंग मिलता है कि भारत पर आक्रमण करने आए सिकंदर की पत्नी ने राजा पोरस को राखी भेजी थी। युद्ध के समय पोरस ने राखी का सम्मान करते हुए सिकंदर का जीवन बख्श दिया।
3. रक्षाबंधन का सामाजिक महत्व
रक्षाबंधन केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और भाईचारे का संदेश भी देता है। इस दिन—
• भाई-बहन एक-दूसरे से दूर हों तो भी डाक या ऑनलाइन माध्यम से राखी भेजी जाती है।
• कई जगहों पर महिलाएं सैनिकों, पुलिसकर्मियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को राखी बांधती हैं, ताकि उनके योगदान का सम्मान हो सके।
• यह पर्व रिश्तों में प्रेम और जिम्मेदारी की भावना को मजबूत करता है।
4. रक्षाबंधन की परंपराएं और रीति-रिवाज
(क) पूजा और थाली सजाना
बहनें इस दिन पूजा की थाली सजाती हैं, जिसमें राखी, रोली, चावल, दीपक और मिठाई होती है।
(ख) रक्षा-सूत्र बांधना
भाई को तिलक करने के बाद बहन उसकी कलाई पर राखी बांधती है, मिठाई खिलाती है और उसकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती है।
(ग) भाई का वचन और उपहार
भाई बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है और प्रेम स्वरूप उपहार देता है।
5. आधुनिक समय में रक्षाबंधन का बदलता स्वरूप
आज के दौर में रक्षाबंधन का स्वरूप थोड़ा बदल गया है—
• राखी अब केवल धागा नहीं, बल्कि डिजाइनर, चांदी, सोने और कलाई-बैंड के रूप में भी उपलब्ध है।
• डिजिटल युग में वर्चुअल राखी और ऑनलाइन गिफ्ट भेजने का चलन बढ़ गया है।
• यह पर्व केवल सगे भाई-बहन तक सीमित नहीं, बल्कि दोस्त, पड़ोसी और यहां तक कि सहकर्मी भी राखी बांधकर यह बंधन निभाते हैं।
6. रक्षाबंधन के पीछे मूल भावना
रक्षाबंधन मनाने के पीछे मुख्य भावनाएं हैं—
• सुरक्षा – भाई अपनी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है।
• विश्वास – राखी बंधने के बाद बहन को भरोसा होता है कि उसका भाई हमेशा उसके साथ खड़ा रहेगा।
• प्यार और अपनापन – यह पर्व रिश्तों को और मजबूत करता है।
• समर्पण – यह एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदारी का बोध कराता है।
7. रक्षाबंधन का आध्यात्मिक संदेश
राखी केवल एक धागा नहीं है, बल्कि यह आत्मीय संबंध और पवित्रता का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि—
• सुरक्षा केवल शारीरिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और मानसिक भी होनी चाहिए।
• भाई-बहन का रिश्ता बिना स्वार्थ के प्रेम का उदाहरण है।
• समाज में एक-दूसरे की मदद और सम्मान करना ही वास्तविक "बंधन" है।
रक्षाबंधन का त्योहार केवल एक रस्म नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की आत्मा है। इसकी जड़ें हमारे पौराणिक, ऐतिहासिक और सामाजिक जीवन में गहराई से जुड़ी हुई हैं। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि रिश्तों की ताकत केवल खून के रिश्तों में नहीं, बल्कि विश्वास, सम्मान और प्रेम में होती है।
राखी का धागा छोटा जरूर होता है, लेकिन इसमें एक ऐसा अदृश्य बल होता है जो दूर बैठे भाई-बहन को भी दिल से जोड़ देता है। यही कारण है कि हर साल सावन मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाने की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है, और आने वाले समय में भी यह रिश्तों की मिठास को बनाए रखेगा।