Sleep Apnea: दिल पर सीधा और खतरनाक असर
( Apurba Das )
हमारे शरीर के सही और संतुलित कार्य के लिए नींद बेहद जरूरी होती है। लेकिन जब नींद के दौरान सांस रुकने लगे, तो यह संकेत है कि कोई गंभीर समस्या है — जिसे हम स्लीप एप्निया (Sleep Apnea) कहते हैं। यह सिर्फ एक नींद से जुड़ी परेशानी नहीं है, बल्कि इसका सीधा संबंध हमारे हृदय यानी दिल से होता है।
◽स्लीप एप्निया क्या है?
स्लीप एप्निया एक नींद संबंधी विकार है जिसमें व्यक्ति की सांसें नींद के दौरान बार-बार रुकती हैं और फिर शुरू होती हैं। इसका मतलब है कि शरीर और मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। यह स्थिति कुछ सेकंड से लेकर एक मिनट तक भी हो सकती है और यह रात में कई बार होती है।
◽मुख्य रूप से इसके दो प्रकार होते हैं:
(1) ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया (OSA): यह सबसे सामान्य प्रकार है, जिसमें गले की मांसपेशियां ढीली होकर वायुमार्ग को ब्लॉक कर देती हैं।
(2) सेंट्रल स्लीप एप्निया: इसमें मस्तिष्क सांस लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने में असमर्थ रहता है।
◽स्लीप एप्निया और दिल की सेहत का संबंध
जब कोई व्यक्ति स्लीप एप्निया से पीड़ित होता है, तो नींद के दौरान उसकी सांसें रुकती हैं। सांस रुकने का मतलब है कि शरीर में ऑक्सीजन का स्तर गिर जाता है। शरीर इस कमी को महसूस करता है और "स्ट्रेस रिस्पॉन्स" एक्टिव हो जाती है। इसका सीधा असर हृदय प्रणाली पर पड़ता है:
1. रक्तचाप में वृद्धि
नींद के दौरान बार-बार सांस रुकने से शरीर में एड्रेनालिन और अन्य तनाव हार्मोन बढ़ जाते हैं, जिससे रक्तचाप बढ़ जाता है। समय के साथ, यह उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) में बदल सकता है, जो दिल के दौरे (हार्ट अटैक) और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ाता है।
2. दिल की धड़कन में अनियमितता
ऑक्सीजन की कमी और मस्तिष्क की प्रतिक्रिया से दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है। इसे एरिदमिया (Arrhythmia) कहते हैं। कुछ मामलों में यह इतनी गंभीर हो सकती है कि यह हृदय गति को पूरी तरह से अव्यवस्थित कर देती है।
3. दिल का आकार और कार्यक्षमता
स्लीप एप्निया के चलते दिल को हर बार कम ऑक्सीजन के साथ अधिक काम करना पड़ता है। यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहने पर दिल की मांसपेशियां मोटी हो सकती हैं और हृदय कमजोर हो सकता है, जिससे हार्ट फेल्योर का खतरा बढ़ जाता है।
4. कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा
ऑक्सीजन की बार-बार होने वाली कमी और शरीर में बढ़ता तनाव रक्त नलिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इससे कोरोनरी आर्टरी डिजीज (हृदय की मुख्य धमनियों में रुकावट) का खतरा बढ़ जाता है।
◽बार-बार क्यों होता है ये असर?
जब रात भर में बार-बार ऑक्सीजन की कमी होती है और हर बार शरीर को अलर्ट मोड में आना पड़ता है, तो यह स्थिति दिल और ब्लड वेसल्स पर निरंतर दबाव डालती है। यह तनाव दिल के लिए सबसे खतरनाक होता है, क्योंकि यह:
• नींद को बाधित करता है (नींद की गुणवत्ता खराब होती है)
• शरीर की रिकवरी प्रक्रिया को रोक देता है
• तनाव हार्मोन के स्तर को लगातार ऊँचा बनाए रखता है
• मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है
◽किन लोगों में ज्यादा होता है स्लीप एप्निया?
• जो लोग मोटापे से ग्रसित हैं
• जिनकी गर्दन मोटी होती है
• जो अत्यधिक शराब या नींद की गोलियां लेते हैं
• धूम्रपान करने वाले
• जिन्हें नाक या गले की रुकावट है
• पुरुषों में यह महिलाओं की तुलना में अधिक पाया जाता है
◽लक्षण जो पहचानने में मदद करें:
(1) तेज खर्राटे
(2) रात में बार-बार सांस रुकना (जिसे आसपास के लोग नोटिस कर सकते हैं)
(3) सुबह सिरदर्द
(4) दिन भर थकान और नींद आना
(5) चिड़चिड़ापन
(6) ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
(7) अचानक जाग जाना और सांस फूलना
◽निदान और उपचार
अगर आपको या आपके किसी अपने को ये लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इसके लिए Sleep Study (Polysomnography) की जाती है, जिसमें नींद के दौरान शरीर की गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जाता है।
◽उपचार में निम्नलिखित उपाय शामिल हो सकते हैं:
CPAP मशीन (Continuous Positive Airway Pressure):
यह एक मास्क होता है जो सोते समय वायुमार्ग को खुला रखने में मदद करता है।
◽जीवनशैली में बदलाव:
(1) वजन कम करना
(2) धूम्रपान और शराब से बचना
(3) साइड में सोना
(4) व्यायाम करना
(5) सर्जरी (कुछ मामलों में):
जब वायुमार्ग की शारीरिक रचना में रुकावट होती है, तब सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
स्लीप एप्निया सिर्फ खर्राटों की समस्या नहीं है, यह एक मौन हत्यारा है जो धीरे-धीरे दिल की सेहत को खराब करता है। इसकी अनदेखी करने से हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक और यहां तक कि मृत्यु का भी खतरा बढ़ सकता है।
यदि समय रहते इसका निदान और इलाज कर लिया जाए, तो न केवल नींद की गुणवत्ता सुधरती है, बल्कि दिल की सेहत भी सुरक्षित रहती है।
स्वस्थ नींद = स्वस्थ दिल
इसलिए अपने और अपनों के नींद के पैटर्न पर ध्यान दें, और जरूरत पड़ने पर चिकित्सा सलाह जरूर लें।