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বিজ্ঞাপন

युवाओं में हार्ट अटैक और हड्डियों की बीमारियों की बड़ी वजह बन रहा है इसका गलत इस्तेमाल




युवाओं में हार्ट अटैक और हड्डियों की बीमारियों की बड़ी वजह बन रहा है इसका गलत इस्तेमाल


( Apurba Das )



आजकल फिटनेस और बॉडीबिल्डिंग की होड़ में युवा वर्ग तेजी से जिम की ओर आकर्षित हो रहा है। आकर्षक शरीर पाने की चाहत में कुछ युवा शॉर्टकट अपनाने लगते हैं और बिना डॉक्टर की सलाह के स्टेरॉयड्स का सेवन शुरू कर देते हैं। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति बन चुकी है, जिसका दुष्परिणाम न केवल उनके दिल पर पड़ रहा है, बल्कि हड्डियां भी तेजी से कमजोर हो रही हैं। हाल ही में एम्स (AIIMS) दिल्ली के विशेषज्ञों ने इस मुद्दे को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। उनके अनुसार अगर समय रहते जागरूकता नहीं बढ़ाई गई, तो भारत में अगले 5 वर्षों में 'यंग बोन डिजीज' यानी कम उम्र में हड्डियों के क्षय की बीमारी एक महामारी बन सकती है।


◽स्टेरॉयड्स क्या हैं और क्यों खतरनाक हैं?

स्टेरॉयड्स दरअसल ऐसे केमिकल्स होते हैं जो शरीर की सूजन कम करने या मांसपेशियों को तेजी से बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। हालांकि चिकित्सा में इनका सीमित और नियंत्रित उपयोग होता है, लेकिन बॉडीबिल्डिंग के शौकीन लोग इन्हें भारी मात्रा में लेना शुरू कर देते हैं। इनका सेवन हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है, जिससे शरीर के अंदरूनी अंगों पर गंभीर असर पड़ता है।

एम्स के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के डॉक्टरों के अनुसार, स्टेरॉयड्स का अत्यधिक और अनियंत्रित उपयोग हड्डियों की गुणवत्ता को नष्ट कर देता है। इससे बोन मैरो प्रभावित होता है और हड्डियां गलने लगती हैं। कई मामलों में यह स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि मरीज को कम उम्र में ही हिप रिप्लेसमेंट जैसी बड़ी सर्जरी करानी पड़ती है।







◽युवाओं में हृदय रोग क्यों बढ़ रहे हैं?

हृदय रोग पहले जहां अधेड़ उम्र के लोगों तक सीमित थे, अब 20 से 35 वर्ष के युवाओं में भी हार्ट अटैक के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। इसके पीछे कई कारण हैं — तनावपूर्ण जीवनशैली, असंतुलित खानपान, नींद की कमी, और सबसे अहम स्टेरॉयड्स का सेवन।

स्टेरॉयड्स शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बिगाड़ देते हैं। यह बुरे कोलेस्ट्रॉल (LDL) को बढ़ाकर अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को कम कर देते हैं, जिससे धमनियां सख्त और संकरी हो जाती हैं। इससे हार्ट अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसके अलावा, स्टेरॉयड्स से ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर भी अनियंत्रित हो सकता है, जो हृदय संबंधी बीमारियों का प्रमुख कारण है।


◽स्टेरॉयड्स से प्रभावित युवा

एम्स के डॉ. राजेश मल्होत्रा के अनुसार, 25 से 30 वर्ष के ऐसे कई युवा सामने आए हैं, जिनकी हड्डियां स्टेरॉयड्स की वजह से इतनी कमजोर हो चुकी हैं कि वे सामान्य चलने-फिरने में भी असहज महसूस करते हैं। उन्हें कम उम्र में ही हिप रिप्लेसमेंट कराना पड़ रहा है, जो सामान्यतः 60-70 वर्ष की उम्र में होता है।

डॉ. निखिल तिवारी का कहना है कि लोग ये नहीं समझ पा रहे कि मांसपेशियों को कुछ हफ्तों में बड़ा करने के लिए वे जो स्टेरॉयड ले रहे हैं, वे धीरे-धीरे उनके बोन मैरो और शरीर की प्राकृतिक ग्रोथ प्रणाली को नष्ट कर रहे हैं। स्टेरॉयड्स से पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर बिगड़ता है, जिससे नपुंसकता और प्रजनन क्षमता में भी कमी आ सकती है।

◽जिम और फिटनेस सेंटरों की भूमिका

आजकल कई जिम और फिटनेस सेंटरों में प्रशिक्षकों द्वारा युवाओं को स्टेरॉयड्स लेने के लिए प्रेरित किया जाता है। बिना किसी मेडिकल सलाह के, वे इन्हें 'सप्लीमेंट' बताकर बेचा जा रहा है। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि कानूनन भी गलत है। स्वास्थ्य मंत्रालय और खेल मंत्रालय को चाहिए कि इस पर सख्त निगरानी रखे और ऐसे जिम्स के खिलाफ कार्रवाई करे जो युवाओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।

◽उपाय और सुझाव

• जागरूकता अभियान चलाना जरूरी है – स्कूल, कॉलेज और सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को स्टेरॉयड्स के दुष्परिणामों के बारे में बताया जाना चाहिए।

• प्राकृतिक तरीकों से फिटनेस अपनाएं – योग, प्राणायाम, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद से शरीर स्वस्थ और ताकतवर बन सकता है।

• हेल्थ चेकअप कराना जरूरी – जो युवा जिम जाते हैं उन्हें समय-समय पर हृदय, हड्डियों और लिवर का परीक्षण कराते रहना चाहिए।

• स्टेरॉयड्स की बिक्री पर निगरानी – सरकार को चाहिए कि मेडिकल स्टोर और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर बिना डॉक्टर की पर्ची के स्टेरॉयड्स की बिक्री पर रोक लगाए।

• परिवार और समाज की भूमिका – माता-पिता और अभिभावकों को अपने बच्चों को सही मार्ग दिखाने और उन पर नजर रखने की आवश्यकता है।


स्टेरॉयड्स के उपयोग से होने वाले दुष्परिणाम बेहद गंभीर हैं, खासकर युवाओं के लिए। आकर्षक शरीर की चाह में अगर सेहत को दांव पर लगा दिया जाए, तो वह शरीर केवल दिखने में अच्छा लगेगा, असल में अंदर से खोखला हो जाएगा। जरूरी है कि युवा वर्ग जागरूक बने, समाज और सरकार इस ओर ध्यान दे और हम सब मिलकर इस बढ़ती हुई समस्या को समय रहते रोकें। वरना आने वाला समय युवा शरीरों में छिपी कमजोर हड्डियों और असमय हार्ट अटैक से भरा होगा।


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