Good Assam এখনি নতুন ই-আলোচনী আৰু এটি Digital সংবাদ মাধ্যম। প্ৰতিদিনে পঢ়িবলৈ পাব স্বাস্থ্য বাৰ্তা , বাস্তু-কিটিপ , বিভিন্ন ধৰণৰ লিখনিৰ লগতে গল্প ,উপন্যাস আৰু বহুতো। যদি আপোনাৰো লিখনি প্ৰকাশ কৰিব বিচাৰে তেন্তে আমাৰ ফেচবুক পেজখনৰ মেচেজ বক্সত বাৰ্তা প্ৰেৰণ কৰিব নাইবা আমাৰ ইমেইল যোগে আপোনাৰ লিখনি পঠিয়াব পাৰে। আমাৰ ই-মেইল ID - goodassam@hotmail.com ◾ Good Assam বৰ্তমান উপলব্ধ - Facebook & Instagram: GoodAssam24 আৰু YouTube : @GoodAssam24 ◾ Website : www.GoodAssam24.in ◾গুড অসমত আপোনাৰ বিজ্ঞাপন প্ৰচাৰ কৰিব বিচাৰে নেকি? আমাৰ সৈতে যোগাযোগ কৰিব। ◾প্ৰতিদিনৰ অতিৰিক্ত আপডেট সমূহ ফেচবুক পেজত উপলব্ধ। সেয়েহে আমাৰ ফেচবুক পেজখনো Follow কৰিবলৈ নাপাহৰিব।

Type Here to Get Search Results !

Ads Mondi Floting

Breking Tiger

Slider Post

Shareus Ads

Mandi Ads

Slider Menu

Slider Menu

Traffic Star Ads

বেটুপাতৰ মডেলঃ

বিজ্ঞাপন

पीलिया (जॉन्डिस) के कारण, लक्षण और इलाज



पीलिया (जॉन्डिस) के कारण, लक्षण और इलाज

( Apurba Das)

पीलिया जिसे अंग्रेजी में Jaundice (जॉन्डिस) कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा, आंखों का सफेद हिस्सा और पेशाब पीले रंग का हो जाता है। यह मुख्यतः रक्त में बिलीरुबिन (Bilirubin) की अधिकता के कारण होता है। बिलीरुबिन एक पीला रंगद्रव्य है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने पर बनता है। सामान्य स्थिति में यह यकृत (Liver) के माध्यम से बाहर निकल जाता है, लेकिन जब किसी कारणवश इसकी निकासी बाधित हो जाती है तो पीलिया हो जाता है।

◽पीलिया होने के प्रमुख कारण

• लिवर की बीमारियाँ

• हेपेटाइटिस (Hepatitis A, B, C, E)

• सिरोसिस (Cirrhosis)

• लिवर फेल्योर

• पित्त नली में रुकावट

• पित्ताशय की पथरी (Gallstones)

• पित्त नली में ट्यूमर

• पित्त नली में संकुचन

• रक्त से जुड़ी समस्याएँ

• लाल रक्त कोशिकाओं का तेजी से टूटना (Hemolysis)

• थैलेसीमिया

• मलेरिया

• संक्रमण और विषैले कारण

• दूषित पानी या भोजन से हुआ संक्रमण

• शराब का अधिक सेवन

• विषैली दवाओं या केमिकल का असर

◽अन्य कारण

• नवजात शिशुओं में जन्मजात पीलिया

• लंबे समय तक भूखा रहना

• फैटी लिवर डिज़ीज


◽पीलिया के प्रमुख लक्षण

• त्वचा और आंखों का पीला पड़ना

• गहरा पीला या भूरे रंग का पेशाब

• सफेद या मिट्टी जैसे रंग का मल

• तेज़ थकान और कमजोरी

• पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द या भारीपन

• भूख न लगना और उल्टी

• बुखार (विशेषकर वायरल हेपेटाइटिस में)



◽पीलिया का आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद में पीलिया को "कामला रोग" कहा गया है। यह मुख्यतः पित्त दोष की वृद्धि के कारण होता है। जब पित्त का असंतुलन होता है तो यह रक्त और यकृत को प्रभावित कर देता है, जिससे शरीर पीला हो जाता है।

◽आयुर्वेदिक उपचार

त्रिफला चूर्ण – यह पाचन सुधारता है और रक्त को शुद्ध करता है।

भूम्यामलकी (भुई आँवला) – लिवर को मजबूत करने और पीलिया में अत्यंत लाभकारी।

गिलोय (Guduchi) – रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और लिवर को शुद्ध करती है।

हल्दी और शहद – हल्दी का सेवन शहद के साथ करने से यकृत की कार्यक्षमता बेहतर होती है।

करेला और पपीता का रस – लिवर को साफ करता है और पित्त दोष को संतुलित करता है।

नारियल पानी – शरीर को ठंडक देता है और विषैले तत्व बाहर निकालने में मदद करता है।


◽द्रव्य उपचार

• पुनर्नवा मंडूर

• कामदुधा रस

• आरोग्यवर्धिनी वटी (वैद्य की देखरेख में)


◽जीवनशैली और आहार

• हल्का, सुपाच्य और ताज़ा भोजन करें।

• तैलीय, मसालेदार और तला हुआ भोजन न खाएं।

• पर्याप्त नींद लें और तनाव से बचें।

• हरी सब्ज़ियाँ, मूली, गन्ने का रस और छाछ का सेवन लाभकारी।


◽पीलिया का एलोपैथिक (Allopathic) उपचार


• ब्लड टेस्ट (Liver Function Test)

• अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन

• वायरल मार्कर (Hepatitis test)


◽इलाज (Treatment)

• हेपेटाइटिस A/E – आराम, तरल पदार्थ और संतुलित आहार से ठीक हो जाता है।

• हेपेटाइटिस B/C – एंटीवायरल दवाइयाँ (जैसे Interferon, Tenofovir)।

• पित्ताशय की पथरी – सर्जरी या एंडोस्कोपी द्वारा पथरी निकालना।

• लिवर सिरोसिस – दवाओं और लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता।

• इंफेक्शन या सेप्सिस – एंटीबायोटिक्स का प्रयोग।


◽सपोर्टिव ट्रीटमेंट

• पर्याप्त पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स।

• विटामिन और प्रोटीन युक्त आहार।

• शराब और दवाओं से परहेज़।

◽घरेलू उपचार

• स्वच्छ पानी पिएं और बाहर का दूषित खाना न खाएं।

• शराब और धूम्रपान पूरी तरह छोड़ दें।

• नियमित रूप से लिवर की जांच कराएं, खासकर अगर पहले से कोई समस्या हो।

• व्यायाम और योग को जीवनशैली का हिस्सा बनाएं।

• गन्ने का रस, Star Fruit का थोड़ा सा रस और नींबू पानी का सेवन लाभकारी है।



पीलिया कोई सामान्य बीमारी नहीं बल्कि लिवर से जुड़ी गंभीर गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। समय पर इलाज न मिलने पर यह लिवर फेल्योर जैसी जानलेवा स्थिति तक पहुंच सकता है। इसलिए, पीलिया के शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दोनों पद्धतियाँ अपने-अपने स्तर पर प्रभावी हैं, लेकिन सही समय पर सही इलाज और जीवनशैली सुधार ही पीलिया से पूर्ण स्वस्थ होने की कुंजी है।




Bottom Post Ad