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বিজ্ঞাপন

मसूड़ों से खून आने की समस्या : कारण, लक्षण और बचाव




मसूड़ों से खून आने की समस्या : कारण, लक्षण और बचाव

( Apurba Das )

दांत और मसूड़े हमारे शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन अक्सर लोग इनके स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देते हैं। ज्यादातर लोग मानते हैं कि दांतों की देखभाल केवल ब्रश और टूथपेस्ट तक ही सीमित है, जबकि सच यह है कि ओरल हाइजीन सीधे हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। मसूड़ों से खून आना (Bleeding Gums) एक आम समस्या है, लेकिन अगर यह बार-बार और लगातार हो, तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है। आइए जानते हैं इसके कारण, संभावित बीमारियाँ और बचाव के उपाय।





1. विटामिन की कमी

शरीर में कुछ जरूरी विटामिन की कमी भी मसूड़ों से खून आने की समस्या को जन्म देती है।

• विटामिन C की कमी (स्कर्वी) : यह मसूड़ों और दांतों को मजबूती देने के लिए बेहद जरूरी है। इसकी कमी से मसूड़े कमजोर होकर खून बहाने लगते हैं।

• विटामिन K की कमी : यह खून का थक्का जमाने में अहम भूमिका निभाता है। इसकी कमी से छोटी-सी चोट या ब्रशिंग पर भी खून निकल सकता है।

• बचाव – आहार में नींबू, संतरा, आंवला, अमरूद, पत्तेदार सब्जियाँ, ब्रोकोली और गाजर शामिल करें।

2. जिंजिवाइटिस (Gingivitis)

मसूड़ों से खून आने का सबसे आम कारण जिंजिवाइटिस है। यह दांतों पर प्लाक और बैक्टीरिया की परत जमने से होता है। समय रहते इलाज न करने पर यह पायरिया (Periodontitis) में बदल सकता है, जिससे दांत हिलने या गिरने तक की नौबत आ सकती है।

लक्षण : मसूड़ों का लाल होना, सूजन, बदबूदार सांस और ब्रश करते समय खून आना।

समाधान : दिन में दो बार ब्रश करें, फ्लॉसिंग करें और हर 6 महीने में डेंटिस्ट से क्लीनिंग करवाएं।


3. डायबिटीज (मधुमेह)

डायबिटीज मरीजों में मसूड़ों से खून आना आम है। ब्लड शुगर के असंतुलन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और संक्रमण जल्दी पनपने लगता है।

अगर डायबिटीज मरीज का शुगर लेवल नियंत्रण में नहीं है, तो मसूड़े ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं। इससे बार-बार खून आना और सूजन की समस्या बढ़ जाती है।

• बचाव – ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखें, मीठे और प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें।


4. लिवर की समस्या

लिवर खून को शुद्ध करने और शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालने का काम करता है। जब लिवर ठीक से काम नहीं करता, तो खून का थक्का बनने की क्षमता प्रभावित होती है। ऐसे में मसूड़ों सहित शरीर के अन्य हिस्सों से भी आसानी से खून बहने लगता है।

सिरोसिस और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों में यह समस्या और बढ़ जाती है।


5. ब्लड कैंसर (ल्यूकेमिया) का संकेत

मसूड़ों से लगातार खून आना कभी-कभी ल्यूकेमिया (Blood Cancer) का शुरुआती लक्षण भी हो सकता है। इस बीमारी में शरीर के सफेद रक्त कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और प्लेटलेट्स की संख्या घट जाती है।

प्लेटलेट्स कम होने से खून का थक्का नहीं जमता और मसूड़ों, नाक या शरीर के अन्य हिस्सों से आसानी से खून आने लगता है।

अगर खून आने के साथ थकान, वजन घटना, बुखार या बार-बार संक्रमण हो, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं।


6. हार्मोनल बदलाव

खासकर गर्भवती महिलाओं और युवाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण भी मसूड़े संवेदनशील हो जाते हैं। गर्भावस्था के दौरान कई बार महिलाओं को ब्रश करते समय मसूड़ों से खून आने की शिकायत होती है। यह प्रेगनेंसी जिंजिवाइटिस कहलाता है।

7. दवाइयों के साइड इफेक्ट

कई बार ब्लड थिनर दवाइयाँ (जैसे एस्पिरिन, वारफारिन) लेने से भी मसूड़ों से खून आने लगता है, क्योंकि ये खून के थक्के बनने की प्रक्रिया को धीमा कर देती हैं।

• मसूड़ों से खून आने के लक्षण

• ब्रश या फ्लॉसिंग करते समय खून आना

• मसूड़ों का लाल या सूजा हुआ होना

• बदबूदार सांस

• दांतों का ढीला होना

• मुंह में धातु जैसा स्वाद


◽घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय

• गर्म पानी और नमक से कुल्ला – दिन में दो बार करने से बैक्टीरिया खत्म होते हैं और मसूड़ों की सूजन घटती है।

• हल्दी और सरसों का तेल – हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। हल्दी और सरसों के तेल का पेस्ट मसूड़ों पर मलने से खून आना कम हो जाता है।

• नीम की दातून – नीम एंटीबैक्टीरियल है, जो मसूड़ों को मजबूत करता है।

• एलोवेरा जेल – मसूड़ों पर लगाने से सूजन और जलन कम होती है।


◽कब डॉक्टर से संपर्क करें?

• अगर मसूड़ों से लगातार और बिना वजह खून आ रहा है।

• साथ ही थकान, वजन घटना, बार-बार बुखार या संक्रमण हो रहा हो।

• लिवर या डायबिटीज के मरीज हों और खून आना बढ़ गया हो।



मसूड़ों से खून आना केवल ब्रश करने या सख्त चीज खाने की वजह से नहीं होता, बल्कि यह शरीर में छिपी कई गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। विटामिन की कमी, जिंजिवाइटिस, डायबिटीज, लिवर की समस्या और ब्लड कैंसर तक इसका कारण हो सकते हैं। इसलिए इस लक्षण को हल्के में न लें और समय रहते उचित जांच व इलाज करवाएं।






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