( Apurba Das )
आज के समय में मोबाइल हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। चाहे वह कामकाज से जुड़ा हो, पढ़ाई से संबंधित हो या फिर मनोरंजन और व्यक्तिगत बातचीत, हर चीज़ मोबाइल के माध्यम से ही होती है। ऐसे में कई लोग अपने मोबाइल की स्क्रीन, वॉलपेपर या गैलरी में भगवान का फोटो रखते हैं। लेकिन सवाल उठता है – क्या ऐसा करना उचित है? वास्तुशास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसका उत्तर थोड़ा अलग है।
1. मोबाइल का स्वरूप और उपयोग
• मोबाइल एक ऐसा साधन है जिसका प्रयोग हम हर प्रकार की गतिविधियों के लिए करते हैं।
• इसमें हम पवित्र काम भी करते हैं जैसे भजन सुनना, पूजा की जानकारी देखना, धार्मिक वीडियो देखना।
• वहीं दूसरी ओर, कई बार इसका उपयोग अशुद्ध और अशोभनीय कार्यों के लिए भी होता है – जैसे अश्लील सामग्री देखना, गर्लफ्रेंड के साथ Sexual Massage करना, गलत तस्वीरें या वीडियो रखना आदि।
• यही कारण है कि धर्मशास्त्र और वास्तु दोनों यह मानते हैं कि मोबाइल को पवित्र स्थल नहीं माना जा सकता।
2. भगवान के चित्र का महत्व
• भारतीय परंपरा में भगवान का चित्र या मूर्ति मात्र कला का प्रतीक नहीं होती, बल्कि उसमें आस्था और श्रद्धा जुड़ी होती है।
• जहां भगवान का चित्र होता है, वहां शुद्धता, सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता की अपेक्षा की जाती है।
• इसलिए इसे सदैव मंदिर, पूजा-घर, या घर के पवित्र कोने में ही रखा जाना चाहिए।
3. मोबाइल में भगवान का फोटो रखने के नकारात्मक प्रभाव
यदि हम मोबाइल में भगवान का फोटो रखते हैं, तो कई बार अनजाने में हम उसका अनादर कर बैठते हैं। उदाहरण के लिए:
• जब हम मोबाइल से Sexual वीडियो देखते हैं, गंदी बातें करते हैं या गलत सामग्री का आदान-प्रदान करते हैं, तो उसी डिवाइस में भगवान का चित्र होना अनादर माना जाता है। इससे शनि राहु केतु दशा लगते हैं और जीवन में नकारात्मक प्रभाव पढ़ते हैं।
• बार-बार हाथ लगना
मोबाइल को हम कभी जेब में, कभी बिस्तर पर, कभी शौचालय तक ले जाते हैं। ऐसे स्थानों पर भगवान का चित्र रखना धर्मसम्मत नहीं है।
• ऊर्जा का असंतुलन
वास्तुशास्त्र कहता है कि जहां नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा का मिश्रण होता है, वहां दिव्य ऊर्जा स्थिर नहीं रह पाती। मोबाइल की लगातार तरंगें, नकारात्मक उपयोग और अशुद्धता से भगवान की तस्वीर का महत्व घट जाता है।
4. वास्तुशास्त्र की सलाह
• भगवान के चित्र को सदैव पूर्व या उत्तर दिशा में बने पूजा-स्थल पर स्थापित करना चाहिए।
• मोबाइल, लैपटॉप या अन्य गैजेट्स पूजा का स्थान नहीं बन सकते।
• मोबाइल पर अगर कोई धार्मिक वॉलपेपर रखना ही है, तो उसे सिर्फ प्रेरणा और सकारात्मकता के लिए रखें, न कि वास्तविक पूजा की भावना से। उसे डिवाइस का मोबाइल में आप वह गंदी हरकतें ना करें।
5. क्या करें और क्या न करें
◽क्या न करें:
(1) मोबाइल में भगवान का फोटो वॉलपेपर न रखें अगर आप उसमें गंदी बातें, अश्लील वीडियो या अनुचित कार्य करते हैं तो।
(2) गैलरी में भगवान की तस्वीरें न रखें जिन्हें बार-बार स्क्रॉल करते हुए अनजाने में अपवित्र जगहों पर दिखाया जाए।
(3) सोते समय, शौचालय या अंतरंग पलों में मोबाइल अपने पास रखते हुए भगवान की तस्वीर होना धार्मिक दृष्टि से उचित नहीं।
◽क्या करें:
(1) भगवान की तस्वीर केवल पवित्र स्थान – घर के मंदिर, पूजा-घर या साफ-सुथरे कोने में रखें।
(2) मोबाइल पर अगर धार्मिकता का अहसास चाहिए, तो मंत्र, भजन या प्रेरणादायी पंक्तियाँ वॉलपेपर के रूप में रखें।
(3) यदि आप वास्तव में भगवान का स्मरण मोबाइल से करना चाहते हैं, तो उनके नाम का डिजिटल मंत्र जप ऐप, भजन ऐप या धार्मिक कैलेंडर उपयोग करें।
6. धार्मिक मान्यता
• धर्मग्रंथ भी कहते हैं कि भगवान की मूर्ति या चित्र का अनादर पाप माना जाता है।
• स्कंद पुराण में उल्लेख है कि देवता का स्थान सदैव शुद्ध और पवित्र होना चाहिए।
• गरुड़ पुराण में भी कहा गया है कि जहां अपवित्रता हो, वहां भगवान का वास नहीं होता । वहां शनि राहु केतु का बस होता है।
• मोबाइल के उपयोग को देखते हुए यह स्पष्ट है कि इसे शुद्ध स्थल नहीं माना जा सकता।
मोबाइल में भगवान का फोटो रखना वास्तु और धार्मिक दृष्टि से उचित नहीं है, क्योंकि मोबाइल एक बहुउद्देशीय साधन है जिसमें अशुद्ध और अपवित्र कार्य भी होते रहते हैं। भगवान का चित्र सदैव उस स्थान पर होना चाहिए जहां केवल पवित्रता और श्रद्धा हो – जैसे घर का मंदिर, पूजाघर या कोई शुद्ध स्थान।
इसलिए अगर आप भगवान की कृपा चाहते हैं तो उनके फोटो को मोबाइल की बजाय अपने घर के मंदिर या पवित्र कोने में रखें। मोबाइल पर केवल सकारात्मक विचार, प्रेरक संदेश या धार्मिक मंत्र का सहारा लें।