2025 की एक नई काल्पनिक हिंदी हॉरर फिल्म "माँ" की कहानी
इसफिल्म में डर, रहस्य और भावनाओं का संगम है। साथ ही प्रमुख कलाकारों और निर्माता की जानकारी भी दी गई है।
🎬 फिल्म का नाम: माँ (2025)
शैली: हॉरर / थ्रिलर / इमोशनल
निर्देशक: अयान चक्रवर्ती
निर्माता: एकता कपूर
प्रमुख कलाकार:
राधिका आप्टे – सिया (मुख्य भूमिका – बेटी)
शेफाली शाह – गायत्री देवी (माँ – आत्मा)
विजय वर्मा – डॉक्टर कबीर
जयदीप अहलावत – ठाकुर रणवीर सिंह (विलेन)
कहानी – "माँ"
कहानी शुरू होती है एक वीरान पहाड़ी गांव ‘घोराघाट’ से, जहाँ वर्षों से लोग एक पुरानी हवेली से दूर रहते हैं। यह हवेली एक समय में गांव की सबसे अमीर महिला गायत्री देवी की थी। कहा जाता है कि उनकी दर्दनाक मौत के बाद वहां अजीब घटनाएं होने लगीं – रोने की आवाज़ें, परछाइयाँ, और बच्चों का अचानक गायब हो जाना। गांववालों ने उसे "शापित हवेली" घोषित कर दिया।
कहानी की नायिका सिया, एक आधुनिक शहर दिल्ली में रहने वाली युवती है, जो एक पत्रकार है और परित्यक्त जगहों की कहानियों पर रिसर्च करती है। उसे गायत्री देवी की हवेली के रहस्य के बारे में पता चलता है और वो वहाँ जाकर सबकुछ रिकॉर्ड करने का फैसला करती है। उसे यह नहीं पता कि गायत्री देवी कोई और नहीं, बल्कि उसकी माँ थीं, जिनसे वह बचपन में ही अलग हो गई थी।
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सिया अपने दोस्त और कैमरा मैन के साथ हवेली पहुँचती है। शुरुआत में सबकुछ सामान्य लगता है, लेकिन धीरे-धीरे अजीब चीजें घटने लगती हैं – सिया को रात में कोई “माँ” कहकर पुकारता है, हवेली की दीवारों पर उसके बचपन की तस्वीरें उभरने लगती हैं, और हर कदम पर कोई छाया उसका पीछा करती है।
सिया की मुलाकात होती है डॉ. कबीर से, जो गांव में रहकर मानसिक स्वास्थ्य पर काम कर रहे हैं। कबीर उसे बताते हैं कि हवेली में रहने वाली आत्मा कोई और नहीं बल्कि उसकी माँ की है, जिसने आत्महत्या नहीं की थी, बल्कि उसे मारा गया था। यह सुनते ही सिया की ज़िंदगी का मकसद बदल जाता है – अब वह अपनी माँ के हत्यारे को खोजकर उसकी आत्मा को मुक्ति दिलाना चाहती है।
जांच करते हुए उसे पता चलता है कि हवेली की असली सच्चाई ठाकुर रणवीर सिंह से जुड़ी है – जो पहले गायत्री देवी का पार्टनर था, लेकिन उसकी संपत्ति हड़पने के लिए उसने गायत्री की हत्या कर दी और इसे आत्महत्या की शक्ल दी। लेकिन गायत्री की आत्मा कभी चैन से नहीं रही – वो अब भी अपनी बेटी से मिलने और न्याय पाने के लिए भटक रही है।
कहानी का अंतिम भाग बेहद रोमांचक है – हवेली में अंतिम रात सिया और कबीर एक यज्ञ करते हैं ताकि गायत्री देवी की आत्मा से बात की जा सके। तभी रणवीर सिंह वहां आता है, और असली डरावनी घटनाएँ शुरू हो जाती हैं – दीवारों से खून टपकता है, फर्श दरकते हैं, और गायत्री की आत्मा पूरी ताकत से प्रकट होती है।
आख़िरी दृश्य में आत्मा रणवीर को अपनी दुनिया में खींच लेती है, और हवेली शांत हो जाती है। सिया की आँखों से आँसू बहते हैं – पहली बार उसने अपनी माँ को देखा, महसूस किया, और अंतिम विदाई दी।
फिल्म का संदेश:
"माँ" केवल एक डरावनी कहानी नहीं है, बल्कि एक माँ और बेटी के रिश्ते की गहराई को दर्शाती है, जिसमें मृत्यु भी उन्हें अलग नहीं कर पाई। फिल्म यह सवाल भी उठाती है कि क्या किसी आत्मा को मुक्ति तभी मिलती है जब न्याय हो?
लोकेशन: हिमाचल की पहाड़ियों में फिल्माई गई
संगीत: रहस्यपूर्ण और भावनात्मक पृष्ठभूमि संगीत
डायलॉग: “एक माँ मर सकती है, लेकिन अपनी बेटी को पुकारना नहीं छोड़ सकती…”
अगर आप हॉरर फिल्मों के शौकीन हैं और साथ ही दिल को छू लेने वाली कहानियों की तलाश में हैं, तो “माँ (2025)” आपके लिए ज़रूर देखने लायक होगी।