नौ प्रकार की माताओं के रूप और उनकी पूजा का महत्व
( Apurba Das )
नवरात्रि का पर्व शक्ति उपासना का महापर्व माना जाता है। इस दौरान माता दुर्गा के नौ रूपों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। प्रत्येक दिन अलग-अलग रूप की पूजा करने से साधक को अलग-अलग फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि नवरात्रि में श्रद्धा और विधि-विधान से की गई उपासना से भक्त के जीवन से दुःख-दरिद्रता मिटती है और सुख, समृद्धि एवं आत्मबल की प्राप्ति होती है। आइए विस्तार से जानते हैं नौ प्रकार रूपों के नाम, उनकी पूजा विधि, अर्पण और उससे प्राप्त फल।
१. शैलपुत्री माता
नाम का अर्थ: पर्वतराज हिमालय की पुत्री।
पूजा विधि: इस दिन कलश स्थापना की जाती है और माता शैलपुत्री की पूजन-अर्चना होती है।
क्या अर्पित करें: घी का भोग लगाना श्रेष्ठ माना गया है।
फल: घी चढ़ाने से भक्त दीर्घायु और रोगमुक्त होता है। घर में सुख-शांति बनी रहती है।
२. ब्रह्मचारिणी माता
नाम का अर्थ: ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली।
पूजा विधि: साधक माता को धूप, दीप और पुष्प अर्पित करता है।
क्या अर्पित करें: शक्कर और मिश्री का भोग लगाया जाता है।
फल: ब्रह्मचारिणी माता की कृपा से तप, त्याग, संयम, सद्गुण और आत्मबल की वृद्धि होती है। विद्यार्थियों के लिए यह विशेष लाभकारी है।
३. चंद्रघंटा माता
नाम का अर्थ: इनके मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार की घंटी शोभित रहती है।
पूजा विधि: माता को पुष्प, धूप, दीप से सजाकर घण्टी बजाकर आरती की जाती है।
क्या अर्पित करें: दूध और उससे बने व्यंजन (खीर आदि) का भोग लगाना चाहिए।
फल: माता चंद्रघंटा की उपासना से भय, रोग और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। घर में सुख-समृद्धि आती है।
४. कूष्माण्डा माता
नाम का अर्थ: ब्रह्मांड की उत्पत्ति करने वाली।
पूजा विधि: चौथे दिन माता की पूजा हरे पत्तों, पुष्पों और दीपक से की जाती है।
क्या अर्पित करें: मालपुआ अथवा कद्दू (कूष्माण्ड) का भोग लगाना उत्तम माना गया है।
फल: माता कूष्माण्डा की कृपा से बुद्धि, स्वास्थ्य और आयु में वृद्धि होती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
५. स्कंदमाता
नाम का अर्थ: भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता।
पूजा विधि: इस दिन माता को पीले फूल और धूप अर्पित करके पूजन किया जाता है।
क्या अर्पित करें: केले का भोग लगाना चाहिए।
फल: स्कंदमाता की उपासना से संतान सुख, ज्ञान और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
६. कात्यायनी माता
नाम का अर्थ: ऋषि कात्यायन की पुत्री।
पूजा विधि: माता को लाल वस्त्र और लाल पुष्प चढ़ाकर पूजा की जाती है।
क्या अर्पित करें: शहद का भोग चढ़ाना उत्तम है।
फल: विवाह योग्य कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है। घर-परिवार में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
७. कालरात्रि माता
नाम का अर्थ: अंधकार को नष्ट करने वाली।
पूजा विधि: माता की पूजा काले वस्त्रों और रात्रि में दीप प्रज्वलित करके की जाती है।
क्या अर्पित करें: गुड़ और जौ का भोग लगाया जाता है।
फल: कालरात्रि माता की पूजा से सभी भय और शत्रु नष्ट होते हैं। साधक को आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है।
८. महागौरी माता
नाम का अर्थ: अत्यंत गौर वर्ण वाली।
पूजा विधि: माता को सफेद पुष्प, वस्त्र और दीप अर्पित किए जाते हैं।
क्या अर्पित करें: नारियल और मिठाई का भोग लगाना श्रेष्ठ है।
फल: माता महागौरी की कृपा से सभी पाप नष्ट होते हैं और जीवन में शांति व समृद्धि आती है। विवाह और पारिवारिक जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।
९. सिद्धिदात्री माता
नाम का अर्थ: सिद्धियां प्रदान करने वाली।
पूजा विधि: नवमी के दिन कन्या पूजन और हवन करके माता की विशेष पूजा की जाती है।
क्या अर्पित करें: तिल और मिठाई का भोग लगाना उत्तम माना गया है।
फल: माता सिद्धिदात्री की उपासना से भक्त को सभी प्रकार की सिद्धियों, शक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
◽नवरात्रि पूजन से प्राप्त समग्र फल
• जीवन में सुख-समृद्धि, वैभव और स्वास्थ्य की प्राप्ति।
• परिवार में सद्भाव, प्रेम और शांति का वास।
• विद्यार्थियों और साधकों को ज्ञान, विद्या और आत्मबल की प्राप्ति।
• साधक के भय, रोग, शत्रु और कष्टों का नाश।
• अंततः मोक्ष और ईश्वर साक्षात्कार का मार्ग प्रशस्त होता है।
नवरात्रि में माता के नौ रूपों की पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और शक्ति जागरण का पर्व है। प्रत्येक दिन माता के स्वरूप को स्मरण कर श्रद्धापूर्वक अर्पण और उपासना करने से भक्त के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस प्रकार नवरात्रि साधक को भौतिक सुखों से लेकर आध्यात्मिक ऊँचाई तक पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त करती है।