युवाओं में तेजी से बढ़ रहा कोलन कैंसर का खतरा : एक गंभीर स्वास्थ्य संकट
( Apurba Das )
अगर हम हालिया स्वास्थ्य आंकड़ों पर नजर डालें, तो एक चिंताजनक तथ्य सामने आता है कि कैंसर अब सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं रह गई है। अब यह तेजी से युवाओं को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है। खासतौर पर कोलन कैंसर यानी कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer) के मामलों में युवाओं के बीच खतरनाक वृद्धि दर्ज की जा रही है। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य सेवाओं पर अतिरिक्त दबाव डाल रही है, बल्कि युवाओं में मृत्यु के एक नए प्रमुख कारण के रूप में भी उभर रही है।
◽कोलन कैंसर क्या है?
कोलन कैंसर बड़ी आंत (Colon) या मलाशय (Rectum) में बनने वाला एक प्रकार का कैंसर है। यह धीरे-धीरे शुरू होता है, जब बड़ी आंत के भीतर कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। समय रहते उपचार न मिलने पर ये कैंसर कोशिकाएं शरीर के अन्य हिस्सों तक फैल सकती हैं।
इसके प्रमुख लक्षणों में —
• मल त्याग की आदतों में बदलाव (कब्ज या दस्त रहना),
• मल में खून आना,
• पेट में लगातार दर्द या सूजन रहना,
• शरीर में कमजोरी या वजन का तेजी से घटना,
• और लगातार थकान महसूस होना — शामिल हैं।
◽ युवाओं में क्यों बढ़ रहा है कोलन कैंसर?
पहले यह बीमारी 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में आम थी, लेकिन अब 25 से 45 वर्ष के बीच के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। मेडिकल एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह सिर्फ बेहतर डायग्नोसिस (Diagnosis) का परिणाम नहीं है, बल्कि बदलती जीवनशैली और खान-पान इसका मूल कारण बन चुके हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान में युवाओं में कोलन कैंसर के लगभग 75% मामले ऐसे हैं जिनका कोई पारिवारिक इतिहास या आनुवंशिक (Genetic) कारण नहीं है। यह दिखाता है कि पर्यावरणीय और जीवनशैली से जुड़ी आदतें जैसे – जंक फूड, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स, नींद की कमी, शारीरिक निष्क्रियता और तनाव – मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।
◽अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स और कैंसर का संबंध
साल 2025 में नेचर रिव्यूज एंडोक्रिनोलॉजी में प्रकाशित एक समीक्षा ने स्पष्ट किया है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स (Ultra-Processed Foods) युवाओं में कोलन कैंसर का बड़ा कारण बन रहे हैं।
इन फूड्स में शामिल हैं —
• पैकेज्ड स्नैक्स,
• इंस्टेंट नूडल्स,
• कोल्ड ड्रिंक्स,
• चिप्स,
• पिज़्ज़ा, बर्गर,
• मीठे ब्रेकफास्ट सीरियल्स,
• और रेडी-टू-ईट फूड्स।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (BMJ) में प्रकाशित एक बड़े अध्ययन में 46,000 से अधिक पुरुषों पर 24 से 28 वर्षों तक निगरानी रखी गई। परिणामों में यह पाया गया कि जिन लोगों ने अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स का अधिक सेवन किया, उनमें कोलन कैंसर का खतरा 29% अधिक था, उनकी तुलना में जो इन खाद्य पदार्थों का कम सेवन करते थे।
◽वैज्ञानिक कारण क्या हैं?
• शोधकर्ताओं के अनुसार, इन खाद्य पदार्थों में मौजूद इमल्सीफायर, कृत्रिम रंग, एडिटिव्स और स्वीटनर शरीर में गंभीर जैविक बदलाव लाते हैं।
• ये इंसुलिन सिग्नलिंग को बाधित करते हैं, जिससे शुगर का स्तर असंतुलित रहता है।
• ये इंफ्लेमेशन (सूजन) को बढ़ाते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को प्रोत्साहित करती है।
• ये गट माइक्रोबायोम (आंतों के लाभकारी बैक्टीरिया) को भी नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पाचन और प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है।
• हम जो खाते हैं, वह सीधे हमारी कोशिकाओं, हार्मोन्स और प्रतिरक्षा तंत्र को प्रभावित करता है। जब आंत में सूजन और बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ता है, तो यह कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का मार्ग प्रशस्त करता है।
◽शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें
युवाओं में यह बीमारी अक्सर देर से पहचानी जाती है, क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण सामान्य पेट की समस्याओं जैसे लगते हैं।
• लगातार पेट में दर्द या गैस रहना,
• मल में खून आना,
• वजन का अचानक घटना,
• और थकान रहना — ऐसे संकेत हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
अक्सर युवा इन लक्षणों को पाचन समस्या या अम्लपित्त समझकर अनदेखा कर देते हैं। जबकि समय पर जांच कराने से कैंसर को शुरुआती चरण में ही रोका जा सकता है।
◽बचाव के उपाय
कोलन कैंसर से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है संतुलित जीवनशैली अपनाना। डॉक्टरों और पोषण विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ सरल बदलाव इस गंभीर बीमारी के खतरे को काफी हद तक घटा सकते हैं —
• फाइबर युक्त आहार लें: साबुत अनाज, ओट्स, फल, और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।
• प्रोसेस्ड फूड्स से बचें: पैक्ड स्नैक्स, मीठे पेय, और फास्ट फूड को सीमित करें।
• नियमित व्यायाम करें: रोज़ाना कम से कम 30 मिनट वॉक या योग करें।
• धूम्रपान और शराब से दूर रहें: ये दोनों ही कोलन कैंसर के बड़े कारक माने गए हैं।
• वजन को नियंत्रित रखें: मोटापा शरीर में सूजन बढ़ाता है और कैंसर के खतरे को दोगुना कर देता है।
• नियमित हेल्थ चेकअप कराएं: खासकर अगर परिवार में किसी को कैंसर रहा हो या पाचन से जुड़ी दिक्कतें बनी रहें।
◽ विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
ऑन्कोलॉजिस्ट्स का मानना है कि युवाओं में बढ़ते कोलन कैंसर के मामलों के पीछे सिर्फ जंक फूड नहीं, बल्कि आधुनिक जीवनशैली की “बैठे-बैठे रहने” वाली आदतें भी जिम्मेदार हैं। ऑफिस या पढ़ाई में लंबे समय तक बैठना, स्क्रीन टाइम बढ़ना और नींद की कमी शरीर के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करती है।
इसके अलावा मानसिक तनाव भी हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है, जो आंतों की कार्यप्रणाली पर असर डालता है।
◽जागरूकता ही बचाव है
युवाओं में कोलन कैंसर का खतरा इसलिए और भी गंभीर है क्योंकि वे खुद को “स्वस्थ और मजबूत” समझते हैं और लक्षणों को हल्के में लेते हैं। जबकि समय रहते पहचान ही इस बीमारी से बचने का सबसे कारगर उपाय है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का स्पष्ट कहना है कि सही खान-पान, सक्रिय जीवनशैली और समय-समय पर स्क्रीनिंग के माध्यम से इस बीमारी को शुरुआती चरण में ही रोका जा सकता है।
कोलन कैंसर का बढ़ता खतरा आने वाले वर्षों में भारत सहित पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। खासकर युवाओं में इसके बढ़ते मामले चेतावनी हैं कि अब समय आ गया है कि हम अपनी भोजन आदतों और जीवनशैली को गंभीरता से लें।
सही जानकारी, नियमित जांच और प्राकृतिक आहार की ओर वापसी ही इस बढ़ती महामारी को रोकने का सबसे प्रभावी रास्ता है।